Shri Ankush Ji Maharaj
 

पूज्य महाराज श्री का संक्षिप्त जीवन परिचय

प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त, देश के प्रख्यात राम कथा वाचक एवं मानस मर्मज्ञ गोलोकवासी ब्रह्मलीन स्वामी श्री राजेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज के दीक्षित अति कृपा पात्र  शिष्य श्री अंकुश जी महाराज आज भारत  ही नहीं अपितु दुनिया के सर्वाधिक प्रख्यात युवा कथा वाचकों में एक सर्वश्रेष्ठ कथा वाचक हैं । आप दुनिया के ऐसे एकमात्र लोकप्रिय युवा कथाव्यास हैं जो देश भर में सनातन की जागृति के लिए दिन-रात सेवारत हैं । आप  ऐसे कथाव्यास हैं जो अपनी मनमोहिनी वाणी से  श्रीमद् भागवत, श्रीराम कथा , शिवपुराण  एवं श्री हनुमत कथाओं के माध्यम से संपूर्ण देश एवं विश्व में सनातन का प्रचार- प्रसार कर रहे हैं। ईश्वर की प्रेरणा , गुरु की कृपा और माता-पिता के आशीर्वाद से आप विश्व का सर्वप्रथम और विशाल भव्य एवं दिव्य श्री लड्डुगोपाल मन्दिर  बनवाने का संकल्प लेकर आम जनमानस को श्री कृष्ण की लीलाओं से युवा पीढ़ी को प्रेरित कर उनमे आध्यात्मिक क्रांति का संचार करते हुए सनातन धर्म की क्रांति को बढ़ाने का निरंतर प्रयास कर रहे हैं ।  
आपका जन्म वर्ष 1997 में पित्रपक्ष एकादशी को यमुना नदी के समीप एक गाँव में हुआ था । कश्यप गोत्र और  ब्राह्मण परिवार में जन्में पूज्य गुरुदेव के पिताश्री का नाम श्री आनंद तिवारी  एवं माताश्री का नाम श्रीमती सुनीता तिवारी  है। आपके तीन भाई और एक बहिन है । आपका बचपन एक गरीब ब्राह्मण परिवार में बीता, बाल्यकाल से ही प्रखर बुद्धि और सनातन के प्रति समर्पण ने आपकी धर्म की ओर मोड़ दिया थाा।
बचपन में अपने माता-पिता के साथ अलग अलग स्थानों पर किराये के घर पर रहे । घर-परिवार और  माता-पिता के धार्मिक कार्यों और सत्कर्मों को देख आप भी बचपन से ही धार्मिक कार्यों से जुड़े रहे । माँ सरस्वती की असीम अनुकंपा से आप बचपन से ही संगीत एवं सुर-साधना के धनी रहे । और आस-पास होने वाले धार्मिक एवं साँस्कृर्तिक कार्यों में भाग लेकर अपनी अद्वतीय विलक्षण प्रतिभा का प्रदर्शन भी करते रहे । इनकी शिक्षा कई स्थानों पर हुई जिसमें औरैया जिले में स्थित श्री संस्कृत महाविद्यालय एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है । इसके साथ ही आपने काशी एवं वृंदावन में जाकर स्वअध्यन किया । तत्पश्चात ब्रह्मलीन स्वामी श्री राजेश्वरनन्द सरस्वती जी महाराज से मंत्र दीक्षा प्राप्त कर उनका सानिध्य प्राप्त किया । पूज्य गुरुदेव भगवान के सानिध्य से पहले आप श्रीमद्भागवत कथा और शिवमहापुरण का ही वचन करते थे लेकिन पूज्य गुरुदेव भगवान के सानिध्य में रहकर आपने श्री राम कथा में भी कुशलता हासिल कर ली ।
आपके जीवन में बदलाव तब आया जब पूज्य गुरुदेव भगवान का काशीवास हुआ। उनके पंचतत्व में विलीन होने के बाद आप कुछ समय के लिए विचलित हुए किन्तु उन्हीं की प्रेरणा से आपने पूज्य गुरुदेव की वाणी को अपनी वाणी के माध्यम से श्री राम कथा को आम जनमानस तक पहुंचाने का सफल प्रयास निरंतर करते चले आ रहे हैं ।